इन चार शेयरों पर क्यों है बाजार के जानकारों का भरोसा?

ट्रेड निवेश  चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के नतीजे आने वाले हैं. इसके बाद शेयर बाजार के दिग्गजों को विदेशी निवेशकों के लौटने की उम्मीद नजर आ रही है. IIFL के वीपी रिसर्च अभिमन्यु सोफत ने ईटी नाउ से कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा पॉलिसी दरों में कटौती के बाद भी बाजार पर उसका असर पड़ने की उम्मीदें कम हैं.

वास्तव में विदेशी निवेशकों की बेरुखी की वजह से शेयर बाजार पर काफी असर पड़ा है. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती जैसे आर्थिक सुधारों के बाद सोफत को भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों के लौटने की उम्मीद है.

सोफत ने कहा कि भारत के इंडेक्स में BFSI सेक्टर का वेटेज करीब 40 फीसदी तक है, इस वजह से निवेशकों की चिंता कायम है. इसके साथ ही इंडिया बुल्स और यस बैंक जैसे दिग्गज संस्थानों पर दवाब बना हुआ है.

इसके साथ ही एक देश के रूप में भारत में घरेलू बचत के आंकड़े सिर्फ नौ फीसदी पर अटका हुआ है. अगर राज्यों को भी जोड़ दें तो राजकोषीय घाटा करीब 11% है. इस वजह से रिजर्व बैंक द्वारा पॉलिसी दरों में कटौती से भी बाजार पर बहुत असर पड़ने की उम्मीद नहीं है.ट्रेड निवेश 

यस बैंक में गुरुवार को जो मूवमेंट दिखा है, वह अस्थायी तेजी है. इसके साथ ही बैंक से जुड़े कई मसले ऐसे हैं जिनमें स्पष्टता आनी अभी बाकी है.

सोफत ने ऑटो स्पेस को लेकर उम्मीद नहीं जताई. वास्तव में उनकी अब तक की उम्मीदें ऑटो सेक्टर ने पूरी नहीं की है, हालांकि पिछले महीने के बिक्री के आंकड़ों से थोड़ी उम्मीद जगी है. इस बार का त्योहारी सीजन भी ऑटो सेक्टर के लिए बहुत अच्छा रहने के संकेत नहीं ला रहा है.

निवेश के हिसाब से सोफत को ऑटो सेक्टर में 60-65 रुपये के स्तर पर अशोक लीलेंड के शेयर आकर्षक दिख रहे हैं. इसमें भी हालांकि उनके निवेश का नजरिया दो साल का है.ट्रेड निवेश 

शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति के बारे में सोफत ने कहा कि उन्हें छह महीने में अंधेरी सुरंग के दूसरी तरफ रोशनी की किरणें दिख रही हैं.

इसके साथ ही सोफत की पसंद में बैटरी बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं. उन्होंने कहा, "अगले दो साल के लिहाज से एक्साइड इंडस्ट्रीज में मुझे 14% सालाना की ग्रोथ दिख रही है. इस हिसाब से इस शेयर में निवेश किया जा सकता है."ट्रेड निवेश 

सोफत ने कहा कि भारत के इंडेक्स में BFSI सेक्टर का वेटेज करीब 40 फीसदी तक है, इस वजह से निवेशकों की चिंता कायम है. इसके साथ ही इंडिया बुल्स और यस बैंक जैसे दिग्गज संस्थानों पर दवाब बना हुआ है.

इसके साथ ही एक देश के रूप में भारत में घरेलू बचत के आंकड़े सिर्फ नौ फीसदी पर अटका हुआ है. अगर राज्यों को भी जोड़ दें तो राजकोषीय घाटा करीब 11% है. इस वजह से रिजर्व बैंक द्वारा पॉलिसी दरों में कटौती से भी बाजार पर बहुत असर पड़ने की उम्मीद नहीं है.

यस बैंक में गुरुवार को जो मूवमेंट दिखा है, वह अस्थायी तेजी है. इसके साथ ही बैंक से जुड़े कई मसले ऐसे हैं जिनमें स्पष्टता आनी अभी बाकी है.

सोफत ने ऑटो स्पेस को लेकर उम्मीद नहीं जताई. वास्तव में उनकी अब तक की उम्मीदें ऑटो सेक्टर ने पूरी नहीं की है, हालांकि पिछले महीने के बिक्री के आंकड़ों से थोड़ी उम्मीद जगी है. इस बार का त्योहारी सीजन भी ऑटो सेक्टर के लिए बहुत अच्छा रहने के संकेत नहीं ला रहा है.

निवेश के हिसाब से सोफत को ऑटो सेक्टर में 60-65 रुपये के स्तर पर अशोक लीलेंड के शेयर आकर्षक दिख रहे हैं. इसमें भी हालांकि उनके निवेश का नजरिया दो साल का है.

शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति के बारे में सोफत ने कहा कि उन्हें छह महीने में अंधेरी सुरंग के दूसरी तरफ रोशनी की किरणें दिख रही हैं.

इसके साथ ही सोफत की पसंद में बैटरी बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं. उन्होंने कहा, "अगले दो साल के लिहाज से एक्साइड इंडस्ट्रीज में मुझे 14% सालाना की ग्रोथ दिख रही है. इस हिसाब से इस शेयर में निवेश किया जा सकता है."

आयल मार्केटिंग कंपनियों की बात करें तो भारत पेट्रोलियम (BPCL) से सोफत को काफी उम्मीदें हैं. अगर मोदी सरकार की योजना के हिसाब से इनका निजीकरण किया जाता है तो इसमें निवेशकों को काफी वैल्यू दिख सकती है. इस हिसाब से निवेशक BPCL में लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं.

सोफत की पसंद में गुजरात गैस भी शामिल है. आयल एवं गैस कारोबार की यह कंपनी अपनी कमाई में सालाना 25% वृद्धि की योजना पर काम कर रही है.

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